जबलपुर- भारत और चीनी सैनिकों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास हुए हिंसक झड़प से देश में गुस्सा है। बता दें कि सोमवार की रात हुए इस झड़प में भारतीय सेना के अफसर समेत 20 जवान शहीद हो गए वहीं चीन को भी काफी बड़ा नुकसान पहुंचा है। चीन की पीठ पर छुरा घोंपने वाली आदत से परिचित भारत ने अब उसे कड़ा सबक सिखाने का फैसला लिया है। एक तरफ जहां चीन को भारत के जवान सीमा पर मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं, वहीं देश के अंदर लोगों ने चीनी सामान का बहिष्कार करते हुए आर्थिक रूप से चीन को सबक सिखाने के जिम्मा उठाया है।
★चीन
को अब आर्थिक
रूप से झटका देने की
तैयारी
बुधवार के सीमा
पर चीन की कायराना हरकत की निंदा करते
हुए कन्फेडरेशन ऑफ
ऑल इंडिया ट्रेडर्स
(CAIT) ने भारत
में चीनी वस्तुओं
के बहिष्कार का
आह्वान किया है।
इसके मद्देनजर CAIT ने 500 से अधिक ऐसे चीनी
वस्तुओं की सूची तैयार की
है जिसे पड़ोसी
देश से आयात किया जाता
है। सीएआईटी ने
कहा कि हमारा
उद्देश्य है कि
साल 2021 तक चीनी
से आने वाले
13 बिलियन डॉलर (लगभग
1 लाख करोड़ रुपए)
के उत्पादों को
कम किया जाए।
★सीएआईटी
ने बनाया 500 चीनी
उत्पादों की लिस्ट
बता दें कि
सोमवार को लद्दाख
के गलवान घाटी
में भारतीय जवानों
के साथ हुए हिंसक झड़प
के बाद से CAIT ने चीनी उत्पादों के बहिष्कार
के लिए देश से आग्रह
किया है। चीन के सैन्य
आक्रमकता से देशभर
में गुस्सा है,
भारतीय सेना के
20 जवानों के शहीद
होने के बाद देशभर में
लोगों ने चीन के झंडे
और राष्ट्रपति शी
जिनपिंग के पुतले
फूंके। इसके अलावा
विरोध प्रदर्शन में
लोगों ने कई चीनी वस्तुओं
को भी आग के हवाले
कर अपना गुस्सा
जाहिर किया है।
★इन
सामानों के बहिष्कार
की अपील
अब इस अभियान
में कैट (CAIT)
ने भी 500 चीनी
वस्तुओं को बहिष्कार
करने का आह्वान
कर चीन को सबक सिखाने
का जिम्मा उठाया
है। कैट की सूची में
रोजमर्रा में काम
आने वाली वस्तुएं
जैसे- फुटवियर, गारमेंट,
किचन का सामान,
लगेज, खिलौने, फर्निशिंग
फैब्रिक, टेक्सटाइल, बिल्डर हार्डवेयर,
स्टेशनरी, कागज, घरेलू
वस्तुएं, फर्नीचर, लाइटिंग, हैंड
बैग, खाद्यान, घड़ियाँ,
जैम एंड ज्वेलरी,
कपड़े, इलेक्ट्रिकल व
इलेक्ट्रॉनिक्स, फैशन अपैरल,
यार्न, फेंगशुई आइटम्स,
दिवाली एवं होली
का सामान जैसी
कई वस्तुएं शामिल
हैं।
★ऐसे
सामानों को लिस्ट
में नहीं किया
गया शामिल
CAIT के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया और राष्ट्रीय महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने बताया, 'इन वस्तुओं के निर्माण के लिए विशेष तकनीक की आवश्यकता नहीं है। ये सामान आसानी से भारत में निर्मित किए जा सकते हैं और चीनी आयातों को प्रतिस्थापित कर सकते हैं। इससे इन सामानों के लिए चीन पर भारत की निर्भरता कम होगी।' भरतिया और खंडेलवाल ने आगे स्पष्ट किया कि जिन वस्तुओं को विशेष तकनीक की आवश्यकता होती है, फिलहाल उन्हें सूची में शामिल नहीं किया गया है।
Aap se bht badhiya likhte bnta h sir👍
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