उत्तराखंड
में स्थित फार्मा, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रोनिक और इलेक्ट्रिकल उद्योग
कच्चे माल और स्पेयर
पार्ट्स के लिए चीन
पर निर्भर रहता है। कोरोना
संकट के बीच कच्चे
माल की आपूर्ति और
मांग में गिरावट का
सामना कर रहे उद्योग
जगत को अब सीमाओं
पर पैदा हो रहे
तनाव की आंच भी
झेलनी पड़ रही है।
उद्योग जगह के प्रतिनिधियों
का कहना है कि
कस्टम से आयातित माल
को सहज क्लीयरेंस नहीं
मिल पा रही है।
जबकि वो इसका पूरा
भुगतान कर चुके हैं।
इस तरह एक तरफ
पूंजी बेवजह डंप हो रही
है, वहीं उन्हें मजबूरी
में घरेलू बाजार से वही माल
महंगी दरों पर खरीदना
पड़ रहा है। हालांकि
अभी उत्पादन पर बहुत अधिक
असर नहीं पड़ा है।
भगवानपुर इंडस्ट्री एसोसिएशन के सचिव गौतम
कपूर के मुताबिक क्षेत्र
की 70 फीसदी इंडस्ट्री कच्चे माल के लिए
चीन पर निर्भर है।
संकट को देखते हुए
एसोसिएशन ने केंद्र सरकार
को पत्र लिखा है।
इसी तरह हरिद्वार सिडकुल
स्थित मैनुफैकचरिंग एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के
सचिव राज अरोरा के
मुताबिक शुरुआत में कस्टम क्लीयरेंस
में ज्यादा दिक्कत थी, लेकिन अब
कुछ-कुछ माल आने
लगा है। जिससे जल्द
हालात सुधरने की उम्मीद है।
अशोक विंडलास, अध्यक्ष, सीआईआई कहते हैं कि फार्मा इंडस्ट्री एंटीबायोटिक के साथ ही कुछ प्री सॉल्ट के लिए चीन पर निर्भर है। इस वक्त कस्टम को लेकर कुछ दिक्कतें तो आ रही हैं, जिसकी भरपाई घरेलू बाजार से महंगी दर चुका कर की जा रही है। हालांकि अभी उत्पादन पर बहुत असर नहीं पड़ा है। हम जल्द हालात सुधरने की उम्मीद कर रहे हैं। पंकज गुप्ता, अध्यक्ष, इंडस्ट्री एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड ने बताया कि न तो वहां से कच्चा माल आ पा रहा है और नहीं यहां से माल जा का पा रहा है। लेकिन यह आयात निर्यात के मोड हैं, जो आते रहते हैं। हम हालात सुधरने की उम्मीद कर रहे हैं, पर यदि यही स्थिति ज्यादा दिन चली तो कच्चे माल की कमी होने से कीमतों पर निश्चित तौर पर असर पड़ेगा।
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