शुक्रवार, 19 जून 2020

लद्दाख में सीमा विवाद के बाद भारत सरकार ने चीन के खिलाफ उठाया पहला बड़ा कदम, जानने के लिए लिंक पर क्लिक करें...


 जबलपुर- 15 जून को लद्दाख सीमा पर सीमा विवाद को लेकर भारत के साथ खूनी संघर्ष का बदला मैदान--जंग में भारत किस तरह लेगा यह भविष्य में तय किया जाएगा लेकिन तत्काल प्रभाव से चीन को आर्थिक रूप से नुकसान करने की तैयारी हो गई है। बुधवार को सरकारी स्तर पर फैसला हो गया है कि दूर संचार मंत्रालय के अधीन काम करने वाली कंपनी बीएसएनएल की 4G टेक्नोलॉजी की स्थापना में चीनी कंपनियों को दूर रखा जाएगा। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार संचार मंत्रालय ने बीएसएनएल को इसका निर्देश कर दिया है।जिस के बाद इस दिशा में जारी टेंडर को रिवर्स करने का भी फैसला किया गया है। साफ है कि चीनी कंपनियां अब इससे बाहर की जाएंगी।

 

बीएसएनएल के 4जी टेंडर में चीनी कंपनियों को नहीं दिया जाएगा मौका

 मृत हो चुकी बीएसएनएल सेवा में फिर से जान फूंकने के लिए इन दिनों संचार विभाग की तरफ से कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। बीएसएनएल की 4जी सेवा की स्थापना उनमें से एक हैं। 4जी सेवा की स्थापना के लिए टेंडर की प्रक्रिया चल रही है। सूत्रों के बताए अनुसार इस टेंडर में चीनी कंपनियों को रोकने के लिए टेंडर को नए नियमों के तहत फिर से जारी करने का निर्देश दिए गए हैं। साथ ही चीनी उपकरणों को लेकर भारत सरकार के सख्त रवैये को देखते हुए अब 5जी टेक्नोलॉजी के टेंडर में भी चीनी कंपनियों के टेंडर लिए जाने की संभावना नहीं है। इस प्रक्रिया से चीन को नुकसान होगा।

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मोबाइल सेवा की निजी कंपनियों को भी चीनी सामान से उपयोग करने का निर्देश जारी

भारत सरकार और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय सूत्रों प्राप्त जानकारी के अनुसार संचार विभाग मोबाइल सेवा के क्षेत्र में भी चीन पर निर्भरता को कम करने की दिशा में गंभीरता से विचार कर रहा है। इसके लिए टेलीकॉम क्षेत्र की निजी कंपनियों को भी चीन की कंपनियों द्वारा बनाए गए उत्पादों पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिए कहा गया है। निजी टेलीकॉम कंपनियां मोबाइल सेवा से जुड़े उपकरणों में चीनी उपकरणों का इस्तेमाल कर रही है। बताया यह भी जा रहा है कि चीनी उपकरणों की सुरक्षा जांच अब और सख्त हो सकती है। दरअसल चीन के उपकरणों पर कई बार सवाल उठाए गए हैं। जिसे देखते हुए सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाने का फैसला किया है जिससे अब चीनी कम्पनियों की हर क्षेत्र में मुश्किलें बढ़ सकतीं हैं।

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चीनी उपकरणों में सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर सरकार सख्त

 चीन के उपकरणों से भारत की जासूसी को लेकर भी कई बार सवाल उठे हैं। जिससे चीनी कंपनी हुआवे एवं जेटीई कठघरे में है और माना यह भी जाता रहा है कि इन कंपनियों में परोक्ष रूप से सरकार शामिल है। अमेरिका समेत कई यूरोपीय देश इस बात को मानते हैं कि इन कंपनियों में चीन की सरकार की हिस्सेदारी है। इन देशों समेत कई अन्य देशों में भी इन कंपनियों के खिलाफ सख्त कदम भी उठे हैं। भारत भी उसी दिशा में बढ़ा तो चीन के लिए परेशानीयां कम नहीं होने वाली। भारत की ओर से चीन के खिलाफ प्रतिशोध का यह पहला कदम माना जा सकता है। सूत्र बताते हैं कि आने वाले समय में कुछ और निर्णय हो सकते हैं। वहीं सरकार के इस फैसले से देश की सुरक्षा और आत्मनिर्भरता से जुड़े संगठनों ने सरकार के इस कदम की सराहना की है।

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