जबलपुर-चीन भारत सीमा
विवाद के बीच चीन
की नई चाल में
नेपाल चीन के साथ
खड़ा दिखाई दे रहा है
उसने भारत के हिस्से
को अपने देश के
नए नक्शे में जोड़ने के
लिए संविधान संशोधन कर यह साबित
करने की कोशिश की
है कि वह चीन
की चाल का हिस्सा
है हालांकि नेपाल को उसके अपने
ही देश के अर्थशास्त्रियों
ने यह कहते हुए
आगाह किया है कि
नेपाल को भारत से
अपने रिश्ते बिगाड़ने नहीं चाहिए। नेपाल
और भारत के संबंध
सीमा विवाद को लेकर बिगड़ने
नहीं चाहिए। हिमालयी देश सभी जरूरी
सामानों की आपूर्ति के
लिये अपने दक्षिण पड़ोसी
देश पर निर्भर है
और यह सोचना सही
नहीं है कि चीन
उसका ‘विकल्प' हो सकता है।
नेपाल के जाने माने अर्थशास्त्री
डा. पोश राज पांडे
ने सोमवार को ये बातें
कहीं। भारत के भू-क्षेत्र लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को
अपने क्षेत्र में शामिल करने
के लिये संविधान में
संशोधन को लेकर नेपाल
के कदम के बारे
में दक्षिण एशियाई गैर-सरकारी संगठनों
(एनजीओ) का समूह ‘साऊथ
एशिया वाच ऑन ट्रेड
एकोनॉमिक्स एंड एनवायरनमेंट (एसएडब्ल्यूटीईई)
के कार्यकारी चेयरमैन ने कहा कि
इस पहल का आर्थिक
प्रभाव इस बात पर
निर्भर करेगा कि भारत की
प्रतिक्रिया किस प्रकार की
रहती है।
★भारत नेपाल के बीच वर्षों से व्यापारिक रिश्ते हैं
बीस
साल से अधिक समय
से अंतरराष्ट्रीय व्यापार और आर्थिक विकास
से जुड़े मुद्दों पर काम कर
रहे अर्थशास्त्री ने कहा, ‘‘नेपाल
न केवल चारों तरफ
से भूमि से घिरा
देश है बल्कि यह
तीन तरफ से भारत
से भी घिरा हुआ
है। अगर भारत प्रतिक्रिया
में जवाबी कार्रवाई करेगा तो स्थिति नाजुक
हो जाएगी। इसका देश पर
व्यापक आर्थिक प्रभाव पड़ेगा।'' उल्लेखनीय है कि नेपाल
के सत्तारूढ़ और विपक्षी राजनीतिक
दलों ने शनिवार को
विवादास्पद नक्शे में भारत के
उत्तराखंड में स्थित लिपुलेख,
कालापानी और लिम्पियाधुरा को
शामिल कर राष्ट्रीय प्रतीक
चिन्ह को अद्यतन करने
के लिये संविधान संशोधन
के पक्ष में आम
सहमति से मतदान किया।
भारत ने नेपाल के
कदम को ‘अस्वीकार्य' और
‘आधारहीन' करार दिया है।
★भारत नेपाल के रिश्ते न बिगाड़ने दे सरकार
डॉ पोश राज पांडे
ने अपने देश की
सरकार से कहा कि
नेपाल-भारत के रिश्ते
को बिगड़ने नहीं देना चाहिए
और इस मसले के
यथाशीघ्र समाधान के लिये बातचीत
किये जाने की जरूरत
है। विश्व व्यापार संगठन में नेपाल की
सदस्य के लिये वार्ताकारों
में शामिल रहे अर्थशास्त्री ने
कहा कि नेपाल जरूरी
सामानों की आपूर्ति के
लिये भारत पर निर्भर
है। नेपाल के राष्ट्रीय योजना
आयोग के पूर्व सदस्य
ने कहा, ‘‘भारत से हमारा
आयात दो तिहाई है।
जबकि चीन की हिस्सेदारी
केवल 14 प्रतिशत है।'' उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक जरूरी
वस्तुओं की आपूर्ति का
सावाल है, चीन, भारत
का विकल्प नहीं हो सकता।''
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा भारत के साथ
पूर्व में मेची से
पश्चिम में महाकाली तक
कारोबारी केंद्र हैं लेकिन उत्तरी
पड़ोसी देश के साथ
हमारा कुछ ही पारगमन
केंद्र हैं और वहां
भी बुनियादी ढांचे का अभाव हैं।''
★नेपाल भारत का बड़ा निर्यातक है
पांडे
ने कहा, ‘‘जहां तक निर्यात
का सवाल है, भारत
को हम कुल निर्यात
का 60 प्रतिशत करते हैं जबकि
चीन की हिस्सेदारी केवल
2 प्रतिशत है।'' उन्होंने कहा कि नेपाल
का उत्तर से समुद्र तक
पहुंच 4,000 किलोमीटर है जो भारत
में कोलकाता तक उसकी पहुंच
के मुकाबले तीन गुना से
भी अधिक है। पांडे
ने कहा, ‘‘इसीलिए तीसरे देश के साथ
व्यापार केवल दक्षिणी मार्ग
से ही किया जा
रहा है।'' नेपाल के कदम पर
प्रतिक्रिया देते हुए विदेश
मंत्रालय में प्रवक्ता अनुराग
श्रीवासतव ने शनिवार को
कहा कि हिमालयी देश
का दावा इतिहास के
तथ्यों पर आधारित नहीं
है या जो साक्ष्य
है, उसका कोई आधार
नहीं है। ‘‘यह लंबित सीमा
मसलों का समाधान बातचीत
से करने के आपसी
समझ के भी खिलाफ
है।''
Jai hind����
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