मंगलवार, 30 जून 2020

Indian News Update: जानिये भारत-चीन के बीच तनाव से भारतीय कंपनियों को किन-किन परेशानियों से जूझना पड़ रहा है...


 जबलपुर-भारत और चीन के रिश्तों में आए उबाल के बाद दोनों देशों के बीच अघोषित व्यापार युद्ध भी शुरू हो गया है। इसके तहत बंदरगाहों और एयरपोर्ट पर आयातित माल को कस्टम क्लीयरेंस में अतिरिक्त समय लग रहा है। इसका असर उत्तराखंड के उद्योग जगत पर भी पड़ रहा है, हालांकि फिलहाल उत्पादन और कीमतों पर ज्यादा असर नहीं है।

 

उत्तराखंड में स्थित फार्मा, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रोनिक और इलेक्ट्रिकल उद्योग कच्चे माल और स्पेयर पार्ट्स के लिए चीन पर निर्भर रहता है। कोरोना संकट के बीच कच्चे माल की आपूर्ति और मांग में गिरावट का सामना कर रहे उद्योग जगत को अब सीमाओं पर पैदा हो रहे तनाव की आंच भी झेलनी पड़ रही है। उद्योग जगह के प्रतिनिधियों का कहना है कि कस्टम से आयातित माल को सहज क्लीयरेंस नहीं मिल पा रही है। जबकि वो इसका पूरा भुगतान कर चुके हैं। इस तरह एक तरफ पूंजी बेवजह डंप हो रही है, वहीं उन्हें मजबूरी में घरेलू बाजार से वही माल महंगी दरों पर खरीदना पड़ रहा है। हालांकि अभी उत्पादन पर बहुत अधिक असर नहीं पड़ा है। भगवानपुर इंडस्ट्री एसोसिएशन के सचिव गौतम कपूर के मुताबिक क्षेत्र की 70 फीसदी इंडस्ट्री कच्चे माल के लिए चीन पर निर्भर है। संकट को देखते हुए एसोसिएशन ने केंद्र सरकार को पत्र लिखा है। इसी तरह हरिद्वार सिडकुल स्थित मैनुफैकचरिंग एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के सचिव राज अरोरा के मुताबिक शुरुआत में कस्टम क्लीयरेंस में ज्यादा दिक्कत थी, लेकिन अब कुछ-कुछ माल आने लगा है। जिससे जल्द हालात सुधरने की उम्मीद है।

 

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अशोक विंडलास, अध्यक्ष, सीआईआई कहते हैं कि फार्मा इंडस्ट्री एंटीबायोटिक के साथ ही कुछ प्री सॉल्ट के लिए चीन पर निर्भर है। इस वक्त कस्टम को लेकर कुछ दिक्कतें तो रही हैं, जिसकी भरपाई घरेलू बाजार से महंगी दर चुका कर की जा रही है। हालांकि अभी उत्पादन पर बहुत असर नहीं पड़ा है। हम जल्द हालात सुधरने की उम्मीद कर रहे हैं। पंकज गुप्ता, अध्यक्ष, इंडस्ट्री एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड ने बताया कि तो वहां से कच्चा माल पा रहा है और नहीं यहां से माल जा का पा रहा है। लेकिन यह आयात निर्यात के मोड हैं, जो आते रहते हैं। हम हालात सुधरने की उम्मीद कर रहे हैं, पर यदि यही स्थिति ज्यादा दिन चली तो कच्चे माल की कमी होने से कीमतों पर निश्चित तौर पर असर पड़ेगा।

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 जबलपुरदेशभर में कोरोना वायरस अब डबल रफ्तार से फैल रहा है। रोजाना भारी मात्रा में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज सामने रहे हैं। जिस वजह से केंद्र सरकार समेत तमाम राज्य सरकारें भी स्थिति को सुधारने में लगी हैं। दिल्ली में कोरोना वायरस के मरीज काफी तेजी से सामने रहे हैं। इसी वजह से अब यहां पर सबसे बड़ा कोविड केयर सेंटर बनाया गया है। दरअसल दिल्ली के छतरपुर के राधा स्वामी व्यास केंद्र को सरदार पटेल कोविड केयर सेंटर और अस्पताल (Sardar Patel Covid Care Centre) में बदला गया है। यहां पर पहुंचकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और गृह मंत्री अमित शाह ने जायजा लिया।

 

 मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और गृह मंत्री अमित शाह ने यहां पर कोविड केयर सेंटर के संचालन का जिम्मा संभाल रहे आईटीबीपी के डॉक्टरों से भी चर्चा की। इस दौरान डॉक्टरों से मरीजों की हालत और सेंटर के इंतजामों की जानकारी ली। जानकारी के मुताबिक, इस कोविड केयर सेंटर में 10,000 से ज्यादा बेड की क्षमता है। जिसका जिम्मा आईटीबीपी ने बुधवार को ही संभाला है। अरविंद केजरीवाल ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया जिसमें उन्होंने सबसे बड़े कोविड केयर सेंटर खुलने की जानकारी दिल्लीवासियों की दी। साथ ही केंद्र सरकार समेत मदद करने वालों को धन्यवाद किया।


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गौरतलब है कि इससे पहले इस कोविड सेंटर का जिम्मा संभालने वाले भारत तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के महानिदेशक एस.एस. देसवाल ने भी यहां का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने स्टाफ से चर्चा की जिसके बाद देसवाल ने कहा कि आईटीबीपी को पिछले चार महीने का अच्छा खासा अनुभव प्राप्त किया है। शुरु में हमने छावला में एक कोविड क्वारंटाइन सेंटर को संभाला था और इसके बाद नोएडा के 200 बेड के अस्पताल में मरीजों की देख-रेख की थी। जिससे हमे अब अनुभव हो गया है और अब हम लोगों की अच्छी तरह मदद कर सकते हैंऔर हर तरह की स्थिति से निपट सकते हैं

सोमवार, 29 जून 2020

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भारतीय सेना को मोदी से खुली छूटहर तरह से निपटने को तैयार भारतीय सेना

  जबलपुरभारत और चीन के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए भारत के अन्य ताकतवर मित्र देश भारत के साथ है और ची की हर हरकत पर नज़र बनाये हुए है वहीँ भारत की सेना भी  ची का मुकाबला करने के लिए बिलकुल तैयार है ची अपने नापाक इरादों में सफल नही हो सकता। भारत और ची के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए देश के अन्य ताकतवर देश भारत के साथ है और ची की हर हरकत पर नज़र बनाये है वहीँ भारत की सेना भी  ची का मुकाबला करने के लिए बिलकुल तैयार है।  ची अपने नापाक इरादों में सफल नही हो सकता और भारत को नहीं हर सकता  हम उनकी कोई भी विस्तावादी नीतियों को सफल नहीं होने देंगे हमारी सेना उनका मुँहतोड़ जबाब देने के लिए लद्दाख के बोर्डर पर उनके सामने पहाड़ की तरह खड़ी है

 

LAC पर भारत चीन की सेना आमने सामने

इस समय लद्दाख में LAC पर दोनों देशो की सेनाये आमने सामने खड़ी है भारतीय सेना बिलकुल तैयार कि चीन कि PLA की कोई भी हरकत को करारा जबाब दे सकेजिसके लिए भारतीत सेना ने LAC पर मिसाइल डिफेंस सिस्टम तैनात कर दिया है अब पूरे सेक्टर में ऐडवांस् क्विक रिएक्शन वाला सरफेस-टू-एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम मौजूद है जो चीन के किसी भी फाइटर जेट को पलभर में तबाह कर सकता है सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, लगातार बढ़ते बिल्-अप के बीच, इंडियन आर्मी और इंडियन एयरफोर्स, दोनों के एयर डिफेंस सिस्टम तैनात कर दिए गए हैं ऐसे में अब अगर चीनी एयरफोर्स या PLA चॉपर्स ने कोई भी चालाकी की तो उसे अंजाम भुगतने की लिए तैयार रहना होगा।

 

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चीन से पूरी दुनिया को खतरा

पूरी दुनिया ये समझ चुकी है कि चीन केवल भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए खतरा बन चुका है भारत तो चीन से निपट ही लेगा लेकिन यदि चीन अपनी हरकतों से बाज़ आया, अगर चीन ने भारत की तरह अन्य देशो पर भी अपनी नापाक हरकतों को जारी रखा तो पूरी दुनिया के लिए मुश्किल हो जायेगा। आज भारत की बात पूरी दुनिया को समझ में रही है और दुनिया ये स्वीकार कर रही है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और उसकी सेना पीपल्स लिबरेशन आर्मी यानी PLA दुनिया के लिए अब खतरा बन चुकी है।

 

 

भारत-चीन सीमा विवाद से तीसरे विश्व युद्ध की आहट

  हम इन बातो को बिलकुल भी नज़रअंदाज़ नही कर सकतेइन सब से आप समझ सकते हो कि ये तीसरे विश्व युद्ध की आहट है और इस बात को खुले आम अमेरिका ने सबसे सामने रखा है गलावन घाटी में भारत-चीन के बीच पहले ही खुनी झड़प हो चुकी है और  अमेरिका ने समझा और खुलकर कहा कि चीन की आक्रामक नीतियों की वजह से ना सिर्फ भारत, बल्कि वियतनाम, फिलीपींस, इंडोनेशिया, मलेशिया जैसे देश भी खतरे में हैं। इस खतरे से निपटने के लिए अमेरिका यूरोप से अपने सैनिक कम करके, इन सैनिकों को एशिया में तैनात करने जा रहा है।

 

 

अमेरिका का भारत को खुला समर्थन

 अमेरिका ने खुल कर चीन को चेतावनी दे दी है और कहा है कि अगर भारत और चीन के बीच कभी युद्ध की स्थिति बनी तो अमेरिका खुलकर भारत का साथ देगा लेकिन ये वो हालात होंगे, जिसमें किसी तीसरी ताकत के आने से विश्व युद्ध का खतरा बन जाएगा जिसमें एक तरफ चीन के साथ पाकिस्तान और उत्तर कोरिया जैसे देश होंगे, तो भारत के साथ अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया जैसे देश होंगे, जो खुलकर चीन की आक्रामक नीतियों का विरोध कर रहे हैंइसमें रूस जैसे देशों के लिए धर्मसंकट होगा कि वो भारत जैसे पुराने दोस्त को चुनें या फिर चीन जैसे देश को, जो पिछले कुछ वक्त से रूस की बड़ी जरूरत बन गया है।

 

 

अमेरिका ने जर्मनी समेत यूरोपीय देशों से हटाई अपनी सेना

 अमेरिका ने खुल कर चीन को चेतावनी दी है कि यदि उसने भारत को खरोंच पहुचाने की जरुरत की तो हम उनके साथ वो करेंगे जो उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा जर्मनी से अपनी सेनाओं  को कम करने की बजह बताते हुए अमेरिका ने कहा कि इनकी जरुरत  दुसरे क्षेत्र में है जर्मनी सहित यूरोप के कई देशों में अमेरिका के सैन्य अड्डे हैं और वहां पर बड़ी संख्या में अमेरिकी सैनिक तैनात हैं अमेरिका ने यूरोप में अपनी ये सैन्य ताकत रूस के खतरे से निपटने के लिए वर्षों से लगा रखी है. लेकिन अब दुनिया का सबसे बड़ा खतरा तो चीन और वहां की कम्युनिस्ट पार्टी बन चुकी हैइसलिए अमेरिका ने कहा है कि वो जर्मनी में मौजूद अपने सैनिकों की संख्या को कम करेगा और 9 हजार सैनिक अमेरिका दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में तैनात करेगा।

 

 

अमेरिका युद्ध के लिए तैयार है

गलवान घाटी की घटना के बाद से ही अमेरिका समझ चूका है कि ये समय काफी चुनौतीपूर्ण है बिना वक़्त गवांते हुए दुनिया भर में अमेरिका अपनी सेनाओं की समीक्षा कर चुका है साथ ही अपनी सेनाओं को इस तरह से तैनात कर दिया है कि जरुरत पड़ने पर चीन की सेना का घमंड तोड़ सके, उनको मुँहतोड़ जबाब दे सके इस चुनौती भरे वक़्त का सामना करने के लिए  अमेरिका तैयार हैइसलिए उन्होंने ये कहा कि इस वक़्त ये जरुरी है कि सभी सैन्य संसाधन उचित जगह पर मौजूद होंइसका अर्थ ये है कि अमेरिका उन रणनीतिक जगहों पर अपनी सैन्य ताकत बढ़ाएगा, जहां से चीन को घेरा जा सकता है ये चीन के लिए बड़ा संदेश भी है कि उसकी हरकतों पर दुनिया चुप नहीं बैठेगी।

 

 

अब पूरी दुनिया एक जुट होकर चीन का मुकाबला करने तैयार

 चीन अपनी दादागिरी से दुनिया के तमाम देशो को डराने की कोशिश की है फिर चाहे वो भारत के साथ लद्दाख की गलावन घाटी में खुनी झड़प हो, ताइवान की सीमा में जबरदस्ती घुसपैठ करके सैन्य कार्रवाई की धमकी देने की बात हो, हॉन्गकॉन्ग में अपने खिलाफ आवाजों को कुचलने की बात हो, जापान के साथ पुराने मुद्दों पर नए सिरे से टकराव की बात हो या फिर दक्षिण चीन सागर में अधिकार जमाने के लिए दूसरे देशों को डराने-धमकाने की बात हो। अ सवाल ये उठता है कि हम चीन को ऐसी नौबत आने का मौका ही क्यों दें, क्यों दुनिया के सारे देश एकजुट  हो जाए और चीन की विस्तारवादी नीतियों और उसके नापाक इरादों के लिए उससे जबाब मांगे

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