जबलपुर- चीन पर कोरोनावायरस महामारी फैलाने को लेकर दुनियाभर के विभिन्न देशों ने सवाल खड़े किये हैं। चीन अब जमीन से लेकर समुद्र तक अपनी विस्तारवादी नीति के तहत इस मुद्दे से दुनिया का ध्यान भटकाने की पुरजोर कोशिशों में लगा हुआ है। ऐसे समय में दुनिया भर की ताकतें चीन का मुकाबला करने के लिये हाथ मिला चुकी हैं।
गलवान घाटी की घटना चीन की डराने की उसकी नीति का सिर्फ एक ऐसा उदाहरण है और समुद्र में आक्रामक कदम पहले ही पड़ोसियों के लिये एक चेतावनी संकेत के रूप में सामने आ गये हैं। इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है कि चीन का आक्रामक राष्ट्रवाद और सैन्य विस्तारवाद एक वास्तविकता है, जो कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के नेताओं द्वारा जताई गई नीतियों से प्रेरित है।
समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने कहा- इन नीतियों के परिणामस्वरूप यह धारणा बन गई है कि बीजिंग अपने द्वारा बनाए गए कानून के अलावा किसी अन्य कानून का सम्मान नहीं करता है। अगर वह किसी की संपत्ति को हथियाने का कोई तरीका ढूंढ़ ले, तो वह उनके संपत्ति अधिकारों का भी सम्मान नहीं करता।
अधिकारी ने कहा कि चीन किसी सीमा या बॉर्डर का भी सम्मान नहीं करता है और अगर उसे किसी क्षेत्र पर कब्जा करने का तरीका दिख जाये तो वह संबंधित देश को डरा-धमका कर अपनी विस्तारवादी नीति पर काम करना शुरू कर देता है।
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यह रवैया दक्षिण चीन सागर (एससीएस)
का दावा करने के
लिये स्व-घोषित ‘नाइन-डैश लाइन’ द्वारा
समुद्री क्षेत्र में चित्रित किया
गया है। जिस तरह
से चीन ने एक
अंतराष्ट्रीय न्यायाधिकरण के फैसले को
नजरअंदाज किया, जिसने दक्षिण चीन सागर में
उसके क्षेत्राधिकार के दावों को
खारिज कर दिया था,
वह केवल उसके अहंकार
को ही प्रदर्शित करता
है।
अधिकारी ने कहा – किसी के द्वारा सहानुभूति केवल चीनी लोगों के लिये तो हो सकती है, जो सिर्फ शांति और स्थिरता चाहते हैं, मगर वहां की पार्टी की विस्तारवादी नीतियों के साथ ऐसा नहीं हो सकता है। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की विस्तारवादी कार्रवाइयों ने फ्रांस, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान सहित प्रमुख समुद्री शक्तियों को कड़े कदम उठाने के लिये उत्तेजित किया है, ताकि वे भारत-प्रशांत क्षेत्र में नेविगेशन की स्वतंत्रता और समावेशी नियम-आधारित व्यवस्था सुनिश्चित करने की दिशा में सहयोग बढ़ा सकें।
एक शीर्ष भारतीय खुफिया अधिकारी ने कहा – चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के इस तरह के व्यवहार से ही भारत के हालिया समुद्री कार्यक्रमों में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम देखने को मिला है। वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ चीन की हालिया कार्रवाई स्पष्ट रूप से भारत को यह याद दिलाने के लिए है कि उसकी उत्तरी सीमाओं पर उसके पड़ोसी के साथ एक टकराव है।
यह निश्चित रूप से भारत को चीन के प्रति एक संतुलन विकसित करने में प्रमुख क्षेत्रीय और वैश्विक शक्तियों के साथ संरेखित करेगा और इस दिशा में भारत के कदम सही दिशा में हैं।
चीन
की कम्युनिस्ट पार्टी के नेता को
इस बात को ध्यान
में रखना होगा कि
नई दिल्ली न केवल चीन
के अप्रत्याशित व्यवहार के मद्देनजर भारत
के समुद्री हितों को स्पष्ट करने
के लिए और अधिक
तैयार हो गई है,
बल्कि इसे अतिरिक्त क्षेत्रीय
शक्तियों के साथ तेजी
से संरेखित करने के लिए
प्रेरित किया जा रहा
है। यह चीज चीन
के दीर्घकालिक हितों में नहीं है।
चीन को यह एहसास
होना चाहिए कि दुनिया अब
उसकी गैर-कानूनी आक्रामकता
को हराने के लिए एकजुट
हो रही है।
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