सोमवार, 8 जून 2020

चीन के खिलाफ जी 7 देशों का गठबंधन, क्या होगी आगे की रणनीति?


जबलपुर- अमेरिका और छह अन्य देशों ने चीन की मौजूदगी को वैश्विक व्यापार, सुरक्षा और मानवाधिकारों के लिए खतरा मानते हुए एक अलांयस बनाया है।जिसमें ब्रिटेन, जापान, आस्ट्रेलिया, नार्वे, कनाडा जैसे देश के नेता शामिल हैं वहीं इस इंटर-पार्लिमेंटरी अलायंस ऑन चाइना (IPAC) को चीन में ‘फर्जी’ बताया जा रहा है। चीन की ओर से कहा गया है- 20वीं सदी की तरह उसे अब परेशान नहीं किया जा सकेगा। पश्चिम के नेताओं को कोल्ड वॉर वाली सोच से बाहर आ जाना चाहिये।


★ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में कहा गया है – शुक्रवार को IPAC को लॉन्च किया गया था। इसमें अमेरिका, जर्मनी, ब्रिटेन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, स्वीडन, नॉर्वे और यूरोप की संसद के सदस्य शामिल हैं। इसके मुताबिक चीन से जुड़े हुये मुद्दों पर सक्रियता से रणनीति बनाकर सहयोग के साथ उचित प्रतिक्रिया देनी चाहिये। चीन के आलोचक और अमेरिका की रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर मार्को रूबियो IPAC के सह-अध्यक्षों में से एक हैं।


★मार्को रूबियो ने कहा – कम्यूनिस्ट पार्टी के राज में चीन वैश्विक चुनौती पेश कर रहा है। अलांयस का यह भी कहना है कि चीन के खिलाफ खड़े होने वाले देशों को अक्सर ऐसा अकेले करना पड़ता है और बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ती है।


कोरोना वायरस के फैलने के बाद से चीन और अमेरिका के बीच संबंधों में तेजी से तनाव बढ़ता जा रहा है जिसका असर दोनों के ट्रेड और ट्रैवल संबंधों पर भी दिखाई देने लगा है।


चीन में इस कदम की तुलना 1900 के दशक में ब्रिटेन, अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, रूस, जापान, इटली और ऑस्ट्रिया-हंगरी के 8 नेशन अलायंस से की जा रही है। चीन के ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक इन देशों की सेनाओं ने पेइचिंग और दूसरे शहरों में लूटपाट मचाई और साम्राज्यवाद के खिलाफ चल रहे यिहेतुआन आंदोलन को दबाने की कोशिश की।


★पेइचिंग में चाइना फॉरन अफेयर्स यूनिवर्सिटी के एक्सपर्ट ली हाएडॉन्ग का कहना है कि चीन अब 1900 के दशक की तरह नहीं रहा और वह अपने हितों को कुचलने नहीं देगा। ली का कहना है कि अमेरिका दूसरे देशों के प्रशासन तंत्रों को अपने साथ ‘चीन विरोधी’ सोच में शामिल करना चाहता है और पश्चिम में चीन के खिलाफ माहौल बनाना चाहता है ताकि अमेरिका को फायदा हो।

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