बायजू रविंद्रन ने घर बैठे छात्रों को पढ़ाकर हजारों करोड़ कमाए
भारत
के करीब 94 फीसदी विद्यार्थियों को स्मार्टफोन से
पढ़ाई करना पसंद है।
यह दावा एक अध्ययन
के आधार पर ऑनलाइन
शिक्षण सामग्री उपलब्ध कराने वाली कंपनी बायजू
ने किया है और
इसी कंपनी की आधारशिला रखने
वाले बायजू रविन्द्रन हैं हमारे आज
के हीरो। केरल के एक
शिक्षक परिवार में पैदा लिए
रविन्द्रन को पठन-पाठन
विरासत में मिला लेकिन
इन्हें स्पोर्ट्स में ज्यादा दिलचस्पी
थी।
रविन्द्रन
ने अपने पिता की
क्षत्रछाया में पढ़ाई पूरी
करते हुए इंजीनियरिंग की
डिग्री हासिल की। एक शिपिंग
फर्म में कई वर्षों
तक इंजीनियर के रूप में
काम करने के बाद
अनायास ही एक घटना
ने इन्हें शिक्षक बना दिया। दरअसल
रविन्द्रन अपने कुछ करीबी
दोस्तों को पढ़ाया करते
थे और इन सभी
दोस्तों ने सफलतापूर्वक कैट
की परीक्षा पास कर ली।
इसके बाद से तो
इनके यहाँ पढ़ने वालों
का तांता लगना शुरू हो
गया। दोस्तों के दोस्त और
उनके दोस्त, सबों ने इनसे
एक कोचिंग क्लास प्रारंभ करने का अनुरोध
किया।
कुछ
ही समय में बायजू
क्लासेज इतना प्रसिद्ध हो
गया कि रविन्द्रन ने
अपनी नौकरी छोड़ एक शहर
से दूसरे शहर कक्षाएं लेने
के लिए रवाना होने
लगे। हर तरफ रविन्द्रन
के हजारों चहेते हो गये लेकिन
सारे शहरों में पहुँच वहां
के छात्रों को पढ़ाना इनके
लिए मुश्किल था। तभी इनके
दिमाग में एक आइडिया
सूझा, इन्होंने निर्णय लिया कि क्यूँ
न इंटरनेट के माध्यम से
एक जगह बैठ कर
ही हजारों छात्रों से रुबरु किया
जाय।
अपने
इसी आइडिया के साथ आगे
बढ़ते हुए इन्होंने साल
2015 में बायजू लर्निंग एप्लिकेशन लांच की और
कैट परीक्षा, सिविल सेवा परीक्षा, संयुक्त
प्रवेश परीक्षा (जेईई), राष्ट्रीय पात्रता और प्रवेश परीक्षा
(एनईईटी), ग्रेजुएट रिकॉर्ड एग्जामिनेशन (जीआरई) और ग्रेजुएट मैनेजमेंट
एडमिशन टेस्ट (जीमैट) जैसी सारी प्रतिष्ठित
प्रतियोगिता परीक्षा के लिए कंटेंट्स
उपलब्ध कराये। इस आइडिया ने
जहाँ एक तरफ करोड़ों
छात्रों को आकर्षित किया,
वहीँ दूसरी तरफ इसने कई
बड़े निवेशक का भी ध्यान
अपनी ओर खींचते हुए
करोड़ों रूपये की फंडिंग उठाई।
सितम्बर
2016 में 50 मिलियन डॉलर (करीब 332 करोड़ रुपये) की राशि का
निवेश चान ज़ुकेरबर्ग फाउंडेशन
ने किया, यह एक परोपकारी
संगठन है जो फेसबुक
के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग और उनकी पत्नी
प्रिसिला चान द्वारा बनाई
गई है।
बायजू
क्लासेज के बारे में
रविन्द्रन का कहना है
कि इससे छात्रों को
जटिल अवधारणाओं को समझने, दूसरों
की मदद लिए पढ़ने
और अध्याय को जल्दी खत्म
करने में सहूलियत मिलती
है।
भारत
जैसे देश में जहाँ
आबादी के एक बड़े
हिस्से तक गुणवत्ता पूर्ण
शिक्षा आज तक नहीं
पहुँच पाई है। ऐसी
परिस्थिति में सूचना प्रोद्योगिकी
का इस्तेमाल कर एक बड़े
स्तर पर गुणवत्ता पूर्ण
शिक्षा प्रदान करने वाले रविन्द्रन
जैसे युवा उद्यमियों के
सोच को सलाम करने
की जरुरत है।
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